Monday, December 31, 2007

मैत्रेयी पुष्‍पा


मैत्रेयी पुष्‍पा






  • मुजीब हुसैन

2 comments:

Anonymous said...

बकवास है गुङिया भीतर गुङिया आत्मकथा, नकली और गढी हुई। मैत्रेयी का मुखौटा नोचना होगा। यह सखि भाव की बात करती है यादव जैसे वुमेनाइजर के साथ? मंच पर से प्रेमी की बात करती यह बदसूरत मगर रंगीली बुढिया। इसे प्रेम सेक्स में स्त्री मुक्ती नजर आती है। गांव की मेहनतकश औरतों को गलत तरह से पेश करती है।
चालाक लोमडी की नकली और गढी हुई आत्मकथा, यह पढने लायक नहीं है।

सरिता बिश्नोई said...

kisi bhi lekhika ko apni bhavnaaon ki abhivyakti ki swatantrta hoti hai,us par pathkon ki bhaddi tippani us pathak k nimn maansik star ko darshati hai.maitreyi g k niji anubhav smaaj k katu satya ko ujaagar karte hain jinhe purush apni rudhvaadita k karan sweekar nahin kar pa rahe.