आलोक धन्वा ( बाएं ) और कुमार मुकुल
कीमत
अब तो भूलने की भी बडी कीमत मिलती है
अब तो यही करते हैं
लालची जलील लोग .
( आलोक जी ने यह छोटी सी कविता 1997 में लिखी थी )
अब तो भूलने की भी बडी कीमत मिलती है
अब तो यही करते हैं
लालची जलील लोग .
( आलोक जी ने यह छोटी सी कविता 1997 में लिखी थी )
( छाया - कुमार मुकुल से साभार )
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