नागार्जुन
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पडे शेफालिका के फूल
बांस था कि बबूल ?
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पडे शेफालिका के फूल
बांस था कि बबूल ?
1 comment:
बाबा की तस्वीर दिखाकर तुमने भला किया
फिर से उनकी यादों औ' कविताओं को जिया.
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